*जीवन का असली फ़लसफ़ा* ये वो लोग हैं, जिनकी कभी भावनाएं आहत नहीं होती है। ये कभी हिन्दू बनते हैं, कभी मुस्लिम, कभी सिख, कभी ईसाई, बौद्ध इत्यादि। ये विश्वभर में जीवन का आनंद लेते हैं और सही मायनों में यही लोग तमाम संस्कृति, परंपरा तथा शान ओ शौक़त का लुत्फ़ उठाते हैं। बहुत लोग प्रचार भी करते हैं कि इन्होंने फलाँ धर्म अपनाया, इन्होंने फलाँ धर्म की संस्कृति का अनुसरण किया जबकि ऐसा कुछ नहीं होता है। यह यूरोप के मग्न और खुशमिजाज लोग हैं। आदिवासियों में आदिवासी बन जाते हैं, धार्मिकों के साथ धार्मिक और पढ़े लिखे ज्ञानियों के साथ तार्किक।जीवन का असली फ़लसफ़ा यही है कि सीखो और खुश रहो। यहां अपनाने से अधिक त्यागने की भावना होनी चाहिये क्योंकि जहां उल, जलूल बातों, विचारों का त्याग होगा वहीं आप प्रेम तथा आंनद हासिल कर सकते हैं। जहां एक इंच का त्याग नहीं होगा, वहां एक पल का भी आंनद नहीं होगा। #आर_पी_विशाल।www.facebook.com/rpvishal
2 Comments
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