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भीमा कोरेगांव ऐसा युद्ध जो मनुवादी इतिहासकारों ने कभी नहीं लिखा।

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भीमा कोरेगांव ऐसा युद्ध जो मनुवादी इतिहासकारों ने कभी नहीं लिखा।

ऐसा युद्ध जो कभी किसी ना सुना और न किसी जातिवादी इतिहासकार ने किसी किताबो में इसका वर्णन किया। विदेशी इतिहासकारो की माने तो ये युद्ध दुनिया का सबसे सफल युद्ध था। जिसमे केवल 500 महार सैनिको ने पेशवाओ के 28000 सैनिको को महज़ 38 घंटे चले युद्ध हरा दिया था। ये एक ऐसा युद्ध था। जो कम सैनिको के साथ लड़ा गया था।

यह युद्ध महारो ने लड़ा था अपनी अस्मिता के लिए

यह युद्ध महारो ने लड़ा था अपनी अस्मिता के लिए ये बदला था उस अपमान का जिसको वो एक हज़ार साल से सहन कर रहे थे। यह युद्ध महारास्ट के भीमा नदी के किनारे पर कोरेगाव में लड़ा गया। यह युद्ध 1 जनवरी 1818 को लड़ा गया।
यह उस समय की बात है जब भारत में छुआ छूत अपने चरम पर था। अछूत मानी जाने वाली महार जाति को समाज से बहिस्कृत कर दिया।

यह युद्ध अंगेजो के नेतृत्व में पेशवाओ के खिलाफ लड़ा गया था

यह युद्ध अंगेजो के नेतृत्व में पेशवाओ के खिलाफ लड़ा गया था आपको बता दे कि पेशवा महराष्ट्र के ब्रह्मण समाज से आते है। और जो महार है वहां के शूद्र वर्ण में आते है। तो उस समय पेशवाओ ने मराठा लोगो से धोके से सत्ता अपने कब्ज़े में ले लिया।

पेशवाओ ने एक कानून पारित करके माहरो को वर्ण व्यवस्था और पीछे द्खेल दिया।

पेशवाओ ने एक कानून पारित करके माहरो को वर्ण व्यवस्था और पीछे द्खेल दिया।
इस कानून के अनुसार महारो को गले में हांड़ी लटकाना होगा। ताकि जब वो थूके तो अपना थूक ज़मीन पर ना गिरे। अगर किसी पेशवा का पैर उस थूक पर गिर गया तो वो अपवित्र हो जाएगा।

दूसरा कानून ये कहता है की महारो को कमर में झाड़ू बांध कर चलना होगा ताकि महारो के पैरों के निशान इस ज़मीन पर ना पड़े। सार्वजनिक तालाबों से पानी लेने की सख्त मनाही थी। एक जानवर पानी पी सकता था पर एक अछूत नहीं।

अंग्रेज़ो को पुणे के पेशवाओ के सम्राज्य पर वियज हांसिल करनी थी।

अंग्रेज़ो को पुणे के पेशवाओ के सम्राज्य पर वियज हांसिल करनी थी। तो अंग्रेज़ो ने महारो को अपनी सेना में भर्ती करने का फैसला लिया क्योकि महार कद काठी में बहुत ही मजबूत थे। अंग्रजो के नेतृत्व में 500 महार सेनिको ने भीमा कोरे गांव को ओर रात को कुच कर दिया 35 मील पैदल चल कर भीमा नदी के किनारे पहुंच गए। जब सुबह हुई तो

पेशवाओ की 28000 सेनिको की भीड़ को देख कर अंग्रेज़ सेनापति घबरा गया

पेशवाओ की 28000 सेनिको को भीड़ की देख कर अंग्रेज़ सेनापति घबरा गया। और अपने सैनिको पीछे लौटने का आदेश दे किया परन्तु वीर महरो ने पीछे हटने से साफ इंकार कर दिया। और देखते ही देखते बहुत ही भयंकर युद्ध शुरू हो गया। शाम होते होते महार सैनिको ने पेशवाओ की आधी सेना को मौत के घाट उतर दिया था। इस सब को देख कर पेशवाओ के होसंले पस्त हो गये। पेशवाओ की सेना में भगदड़ मच गई देखते ही देखते पेशवा मैदान छोड़ कर भाग गए।
लेकिन महारो को भी अपने 137 वीर सपूतो की गवाना पड़ा।

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