भीम आर्मी प्रमुख चंद्र शेखर आज़ाद रावण बनाएगे नई राजनैतिक पार्टी
भीम आर्मी प्रमुख चंद्र शेखर आज़ाद रावण ने एक ट्वीट के माध्य्म से एक नई राजनैतिक पार्टी बनाने का एलान किया है। चंद्र शेखर आज़ाद रावण ने बहुत ही सोच कर और समझ कर किया हैं। इसके पीछे कई सालो प्रतारणा झेल रहे दलितों को एक असली और दलितो और मुसलमानो का हितेषी होने का प्रमाण देना है।
भीम आर्मी और चंद्र शेखर आज़ाद रावण एक पावरफुल और दबंग नाम बन गया है इस खबर को सुन कर भीम आर्मी कार्य कर्ताओ में एक खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। जिस प्रकार भीम आर्मी के लोग जेलों में जा रहे थे। और इनको जेलों से बहार निकलने लिए कोई भी राजनैतिक पार्टी काम नहीं कर रही है। इस बात से दुखी रावण ने अपने लोगो को एक विकल्प देने की कोशिश की है।
भीम आर्मी को एक सामाजिक संगठन से एक राजनैतिक पार्टी बनाने की नौबत क्यों आन पड़ी।
काफी लम्बे समय से भीम आर्मी सड़को पर दलितों के आवाज़ उठा रहे थे। तो उसमे कुछ लोगो पर मुकदमा लग जाता था। और साथ ही जिस प्रकार से पुलिस की जुल्मो ज्याति और मार पीट के साथ साथ जातिगत परतारणा की जाती थी। तो उसके बचने के लिए ये कदम जरुरी है।
अभी हाल की घटना है सहारनपुर में किसी शरती तत्वों ने बाबा साहेब डॉ भीम राव अम्बेडकर की प्रतिमा को खण्डित कर दिया। तो इसके विरोध में कुछ लोगो ने विरोध प्र्दशन किया। पुलिस ने अपराधियों को पकड़ने की बजाय भीम आर्मी के लोगो को जेल में डाल दिया। जिसमे मंजीत सिंह नौटियाल और कमल सिंह वालिया और भीम आर्मी के कई कार्य करता शामिल है।
क्या भीम आर्मी और बसपा के हितो में टकराव होगा ?
निकट भविष्य में बसपा और भीम आर्मी के हितो का टकराव होना लाज़मी है। दोनों हमे एक बात समझनी होगी। कि जो भीम आर्मी का निर्माण हुआ था वो जब हुआ था तब समाज में चमारो पर बहुत जुल्मो ज्याति हो रही थी। तो भीम आर्मी ने ठाकुरो को मुक्कमल और मुँह तोड़ जबाब दिया था।
भीम आर्मी चमारो पर हो रही जुल्मो ज्याति का जोर दार तरीके से जबाब दिया था। जिसकी वज़ह से चंद्र शेखर को 16 महीने जेल में बीतने पड़े थे। और इन सबसे बड़ी बात यह है। कि भीम आर्मी ने The Great Chmar और अपनी कोम को स्वाभिमान दिलवाया था। जबकि बसपा वाले किसी भी लड़ाई को सड़क पर नहीं लड़ते। और साथ ही बसपा का कोई भी बड़ा पदादिकारी दलितों के मुद्दे पर कोई बयान देता।
बसपा वोटर ही भीम आर्मी कार्यकर्ता है। तो अब क्या होगा ?
हाँ ये बात बिल्कुल सही है कि बसपा वोटर के लोग ही भीम आर्मी के कार्य कर्ता और करता धरता है। लेकिन अब कंफ़्यज़न ये है कि वोट बसपा को डाले या भीम आर्मी को। लेकिन आज वोटर पढ़ा लिखा है। और वो अपना हित देख और समझ सकता है। ऐसा नहीं है कि हम आंख मूंद कर किसी वोट कर देंगे। काम से काम किस मनुवादी को वोट नहीं ही करेंगे।