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पटेल की मूर्ति से क्या हासिल होगा

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पटेल की मूर्ति से क्या हासिल होगा

जब बहन कुमारी मायावती जी यूपी में डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ज्योतिबा फुले छत्रपति शाहूजी महाराज की मूर्तियां लखनऊ में लगा रही थी. तब भाजपा वाले इतना विरोध क्यों कर रहे थे. हमें सरदार बल्लभ भाई पटेल की मूर्ति को लगाने के पीछे की राजनीति को समझना होगा इस मूर्ति में लगभग 3000 करोड़ का खर्च आया है इतने खर्चे से के यूनिवर्सिटी खुल सकती थी लेकिन भाजपा सरकार को केवल अपनी राजनीति चमकाने के चक्कर में लगी हुई है

लखनऊ में बने अंबेडकर पार्क का विरोध क्यों

हमें यह समझना होगा कि दोनों समाज में जन्मे महापुरुषों का मेमोरियल लखनऊ में बना हुआ है जिसको बहन कुमारी मायावती जी ने बनवाया है जब यह मेमोरियल बन रहा था तो मनुवादी मानसिकता के लोग इस पार्क का विरोध कर रहे थे बोल रहे थे कि यह पैसे की बर्बादी है सारा पैसा पत्थरों में लगा दिया है जो कि केवल 700 करोड़ में बनकर तैयार हो गया था

भाजपा बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की मूर्ति का विरोध क्यों करते हैं

अगर जब बहन कुमारी मायावती जी मूर्तियां बनवाएं तो यह बात भाजपा को गलत लगती है लेकिन जब भाजपा को दो मूर्ति बनवाए तो यह अच्छी लगती है हम किसी मूर्ति के खिलाफ नहीं है लेकिन जो सम्मान डॉक्टर बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को उनकी प्रतिमा बनाकर दिया गया था भाजपा के लोग इसके खिलाफ थे और दिन रात बहुजन समाज पार्टी और बदनाम करने में लगे थे

लाखों की तादात में आदिवासी विस्थापित हुए हैं

3000 करोड़ रुपए की लागत से बनकर तैयार हुई सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा केवल एक राजनैतिक स्टंट है जबकि जहां पर प्रतिमा बनी है वहां के आदिवासी लोग वहां से स्थापित किए गए हैं जिनकी संख्या लाखों में बताई जा रही है यह प्रतिमा आदिवासियों के घरों को तोड़कर बनाई गई है इस प्रतिमा से आदिवासी लोग बुरी तरह से विस्थापित हुए हैं और आदिवासी लोग इसका खुलकर विरोध कर रहे हैं.

अगर इतने पैसे सोए से कोई कॉलेज अस्पताल विश्वविद्यालय खोले जाते तो लाखों लोगों को रोजगार के साथ साथ पढ़ने का मौका भी मिलता लेकिन वर्तमान सरकार शिक्षा पर लगातार प्रहार कर रही है. भाजपा सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को तोड़ कर रख दिया है. ताकि शुद्र शिक्षा ना प्राप्त कर सकें।

 

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