संविधान निर्मातापरम् पूज्य बाबा साहेब डाक्टर भीम राव अम्बेडकर जी के महापरिनिर्वाण दिवस पर श्रेध्य पूनम बौद्ध जी ने बताया की बाबा साहब जी के चले जाने के बाद से हमारे समाज को कितनी क्षति हुई है।
पूनम बौद्ध जी बताया की किस प्रकार से बाबा साहब ने अपने जीवन के 39 साल हामरे समाज को निस्वार्थ भाव से दिए। और साथ ही बाबा साहब ने कितने कस्ट और पीड़ा सहन करके हमारे दबे कुचले समाज को हक़ अधिकार दिलवाए। साथ ही
बाबा साहब के साथ बचपन में हुए दुर्व्यहार को याद दिलाया कि जब बाबा साहब बचपन में स्कूल जाया करते थे तो। उनके उनका ब्राह्मण शिक्षक रोज बहुत मरता था और कहता था की तुम पढ़ लिख कर किया करोगे ? तो बाबा साहब ने अपने शिक्षक को जबाब दिया कि ” मैं पढ़ लिख कर किया करूँगा ये पूछने का काम आपका नहीं है अगर तुमने अगली बार मुझे इस प्रकार से डाटा तो अच्छा नहीं होगा ” क्योकि बाबा साहब शिक्षा का महत्व जानते थे।
आगे पूनम बौद्ध जी बताती है कि जब 1927 में बाबा साहब ने मलाड़ में तालाब से पानी पीने का अंदोलन शुरू किया और स्वम् स्कूल में पियासे रहे। और निरंतर दबे कुचले और अछूत समझे जाने वाले को सविधान के माध्य्म से समानता और स्वतन्त्रा और सम्मान से जीने का अधिकार दिलाया। आज अगर दुनिया में सबसे ज्याद प्रीतम अगर है तो केवल और केवल बाबा साहब जी की ही है।
पूनम बौद्ध जी ने शिक्षा के महत्व का बताया की शिक्षा की बदौलत ही हम अपने और अपने परिवार साथ की अपने समाज का विकास कर सकते है। साथ कहा की अपने बच्चो को शिक्षा जरू दे चाहे खाने को रोटी कम मिले पर शिक्षा जरू मिले।
पूनम बौद्ध जी ने एक कहानी के माध्य्म से शिक्षा के महत्व को एक कहानी के माद्यम से बताया कि एक राजा था उसने अपने चार दरबारियों को बुलाया। उस राजा ने अपने “दरबारियों से कहा की मुझे शिक्षा का महत्व समजाओ”। तो दरबारियों के हाथ पाव फूल गए बोलने लगे हम तो पढ़े लिखे नहीं है। हमें शिक्षा की कीमत का क्या पता। उनकी भूख प्यास सब उड़ गई।
लेकिन एक दरबारी का बेटा दस साल का था तो सुने कहा की पिता जी आप बहुत परेशान हो बताओ किया बात तो दरबारी ने बताया की ” राजा ने हमसे शिक्षा की कीमत बारे में पूछा अगर हमने यह नहीं बताया तो वो हमारा सर धड़ से अलग कर देगा। ” तो वो दस साल का बोलता है की राजा साहब आपको बताता हु की शिक्षा की कीमत क्या होती है कि जो क्वेश्चन पूछता है वो कँहा बैठता है ? और जो उत्तर देता है वो कंहा बैठता है। राजा जी अपने ये भी नहीं पता। वो बच्चा जमीन से उठकर सिंघासन पर बैठ जाता है और राजा सिंघासन से उठ कर जमीन पर बैठ जाता है। तो शिक्षा का महत्व यह है की शिक्षा पाकर लोग जमीन से उठ कर सिंघासन पर बैठ जाता है।